Saturday, June 24, 2017

15 Analysis



Analysis का मतलब किसी भी स्टॉक के सभी पहलू को परखने की विधि, मुख्यत: दौ प्रकार की analysis होती है (1) fundamental analysis और (2) Technical analysis

Fundamental analysis: ईस प्रकार की analysis मे हम स्टॉक की बसिक चीजों को देखते है जैसे की 
*  52 Week high and low 
*  Moving average 
*  Helth 
*  Company management 
*  Share Holding 
*  Current affairs 
*  Company का future plan 
*  Dividend 
*  Product 
*  Demand 
*  सरकार की नीतियां 
      ऊपर की तमाम बातों को ध्यान में रखकर  हम  शेर  खरीदतें हैं ।Technical analysis: ये तकनीक थोड़ी एडवांस है इसमें हम चार्ट देखकर और कुछ पुरना डेटा की मदद से शेयर का future क्या है वो पता करते है
तो आयिये हम इसे video के जरिये सीखते है

Technical analysis by chart 1  

Technical analysis by chart 2




Sunday, June 18, 2017

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रननीतियां 
   दोस्तो मार्केट मे लोगोने अपने काम और सहुलतियो को ध्यान मे लेकर बहुत सारी स्ट्रेटेजी बनायी है मगर हमें इन सब को सिर्फ जानना चाहियें, काम अपनी मरजी से हमें जैसे योग्य लगे वैसे करना चाहियें। इसी लिये हम यहा कोइ स्ट्रेटेजी की बात नहीं करेंगे क्योकि अगर आप सिर्फ delivery trading ही करते है तो मुजे नहीं लगता की आपको कोइ स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना पड़ेगा, आप सिर्फ और सिर्फ कंपनी का fundamental ध्यान मे रखें और trading करें।
*   adviser वगैरा से हमेशा बचकर रहे उनके फोन में चिकनी चुपडी बातों में ना आयें क्योँकि पैसे आप लगा रहे है, investment आप लगा रहे है उनकी calls fail होने पर आपका हि घाटा होगा ना कि उनका वो तो sorry बोलकर साइड हो जायेंगे।



Tuesday, June 13, 2017

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put option 


उदाहरण :- आपका अनुमान है की sbi का stock एक महीने के भीतर नीचे गिरेगा या अच्छा perform नही करेगा तो आपने अपने watchlist मे sbi  stock की put option की script बनाई जो ऐसे होंगी, SBI16JUN17-200CE 
इसका मतलब jun17 का sbi का contract जिसकी strike price 200रु है उसका ये put option है।
Call option की तरह इसमे भी strike price निर्धारित है जैसेअभी  250रु cmp पर sbi का stock trade कर रहा है उसका premium एक्सचेंज द्वारा 10रु रखा गया है वैसे ही 240रु का 9रु, 230रु का 8रु....और 200रु का  5 रु वैसे ही 260 का 11रु, 270रु का 12 मतलब strike price यहाँ call option से विपरीत है।
यहाँ आपने 200रु की strike price की script 5रु per share premium देकर buy की है, lot size 1000 है यानी आपको ये script 1000x5=5000रु मे मिलेंगी, अगर वो script चाहे उसी दिन या एक महीने के अन्दर कभी भी बढ़ती है तो आपको फायदा होगा, अगर 1रु बढ़ती है तो फायदा 1x1000=1000रु होगा।
* मैं फ़िर से दोहराता हूँ की  option contract मे जैसे जैसे expiry date नज़दीक आती है वैसे वैसे premium कम होता जाता है यानी 15 तारीख के बाद option मे ट्रेड ना करने की मेरी सलाह है 



तरीका :- 

*   पहेले उचित script बना ले 
*    Type of trading मे NRML select करे 
*    Order type  मे उचित option select करे 
*    Price भरे 
*    Quantity भरे 
*    Buy या sell select करे  और order को summit करे 
*    दुबारा पुष्टि करे 

























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Option या विकल्प ट्रेडिंग 

   ट्रेडिंग के इस प्रकार मे एक्सचेंज द्वारा विकल्प प्रदान किये जाते है की आप कोई script को चढ़ती या पड़ती मे अगले एक महीने के लिये  खरीद या बेच सकते हो। expiry के बाद वे script delete हो जायेंगी और दूसरे महीने की दूसरी  स्क्रिप्ट बन जायेंगी। यहाँ पर एक्सचेंज द्वारा कूच चुनिंदा शेर की strike price के level बांटे जाते है और उनकी primium price रखी जाती है जैसे की
यहाँ पर दो प्रकार के option होते है
   (1) call
   (2) put
पहेले लेते है call option

उदाहरण :- आपने अपने watchlist मे xyz  stock की call option की script बनाई जो ऐसे होंगी, SBI16JUN17300CE
इसका मतलब jun17 का sbi का contract जिसकी strike price 300रु है उसका ये call option है।
strike price :- वो price जहाँ तक स्टॉक की पहुँचने की आपकी उम्मीद है चाहे वो bullish हो या bearish
अभी script तो बन गयी अभी यहाँ पर watchlist मे आपको शेर की किंमत की जगह बहुत ही कम नज़र आयेगी वे premium है , exchange के द्वारा हर प्राइस जैसे की मान लो की स्टॉक 250रु के उपर ट्रेड कर रहा है तो एक्सचेंज ने 250रु पर premium 10रु रखा है वैसे ही 260रु का 9रु, 270रु का 8रु....और 300रु का 5रु मतलब strike price जैसे जैसे cmp से बढ़ती जायेंगी वैसे वैसे उसका premium कम होता जायेगा।
यहाँ आपने 300रु की strike price की script 5रु per share premium देकर buy की है, lot size 1000 है यानी आपको ये script 1000x5=5000रु मे मिलेंगी, अगर वो script चाहे उसी दिन या एक महीने के अन्दर कभी भी बढ़ती है तो आपको फायदा होगा, अगर 1रु बढ़ती है तो फायदा 1x1000=1000रु होगा।
*   option contract मे जैसे जैसे expiry date नज़दीक आती है वैसे वैसे premium कम होता जाता है यानी 15 तारीख के बाद option मे ट्रेड ना करने की मेरी सलाह है




























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फ्यूचर या वायदा करोबार


   Image मे आपको SBI का 25 may 17 का future का snap quote दिखाया है जिसमें open price, previous close price, high और low price, circuit limit जो की exchange द्वारा तय की जाती है की उस दिन वो stock इस limit के बाहर trade नही कर सकता।
   अभी आपने ये अनुमान लगाया की ये stock future मे बढेगा और अच्छा perform करेगा, तब आप उसे future contract मे तीन महीने के लिये buy करेंगे।

तरीका :- पहले उचित script बना ले, type of trading मे NRML select करे, buy या sell select करे, lot quantity भरे, price भरे और summit करे तथा दुबारा check करके order conform करे।
*   अगर आपने तीन महीने के लिये पोज़िशन ली है तो आपको अपनी पोज़िशन दिये गये समय पर close करनी होंगी 
*   याद रहे future और option contract मे रोज़ का नफ़ा-नुकसान रोज़ आपके demate account से हिसाब होता रहेगा यानी अगर आपकी ली हुयी स्क्रिप्ट मे अगर आपको मार्केट बंद होने पर 500रु का फायदा हुआ है तो वो आपके बेलेन्स मे जुड़ जायेगा और अगर नुकसान हुआ है तो बेलेन्स से कट जायेगा, इसे M to M  यानी मार्केट टु मार्केट कहते है 






























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फ्यूचर या वायदा करोबार 

   वायदे के उपर चलनेवाला ये ट्रेडिंग का एक प्रकार है जिसमे जिसमें एक्सचेंज द्वारा चुने हुए शेर की एक, दो, या तीन महीने की script बनती है जिसे आप buy या sell पहेले जो भी करना चाहे वो कर सकते है और बाद मे दी गयी  समयसीमा के अन्दर उसे close करके मुनाफा कमा सकते है।
   उदाहरण :- आपने SBI Fut Jul17 नाम की script अपने watchlist मे बना दी, अभी आपने मार्केट को समजा और ये सोचा की ये script bullish है और price of share बढ़ेंगी तो आपने उसे 280₹ per शेर के हिसाब से एक lot खरीदा मतलब buy किया। यहाँ पर SBI  की lot size 1200 है तो मुजे वो margin को जोड़कर लगभग 60,000₹ मे पूरा lot मिलेगा। अभी आपने ये lot एक महीने के वायदे पर लिया है तो उसी महीने के आखरी thursday को expiry होती है उस से पहले जब आप profit मे हो तब आपने ये script ko sell करना होगा यदि ऐसा नही करते तो वे अपने आप market rate पर आपकी पोज़िशन close हो जायेंगी। यहाँ पर हर दिन का हिसाब market clossing के बाद हो जाता है उसे M to M कहते है मतलब मार्केट टू मार्केट ।





















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इन्ट्राडे  या डे ट्रेडिंग




     Image मे आपको JK tyre के stock की order book window का screenshot दिखाया गया है जिसमें आपको Type of trading मे intraday या MIS select करना होगा, बाकी सभी settings एक बार check कर ले जैसे order type, quantity, price, buy या sell आदि।

Note:- याद रहे आपने buy या sell जोभी पहले किया है मगर आपको अपनी पोज़िशन market बंद होने से पहले close करनी होंगी वरना अपने आप ही market rate पर close हो जायेंगी।
हिदायतें 
*   Stock की सही पहचान करके अपना ट्रेड करे 
*   ज्यादा कमाने के चक्कर मे जल्दबाजी मे ज्यादा नुकसान भी हो सकता है 
*   कभी भी adviser की बातों मे आकर ट्रेड ना करे क्योंकि पैसा आप लगा रहे है adviser नही, तो जब नुकसान होगा तो adviser का कूच नही जायेगा
*   लगातार watch करे 
*   Stop loss लगाकर trade करे ताकि नुकसान कम से कम रहे 
*   Current news की जानकारी रखे ताकि अचानक से stock मे होने वाले बदलाव से आप अपनी पोज़िशन बदल सके 
ज्यादा जानकारी के लिये learning videos देखे 

















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इन्ट्राडे  या डे ट्रेडिंग
   इन्ट्रा डे  नाम से ही जाहिर है की ये ट्रेडिंग सिर्फ एक दिन के लिये होती है, मतलब की आज का buy  या sell किया हुआ माल की position आज ही मार्केट बंद होने से पहले close करनी पड़ेगी।
इस प्रकार की ट्रेडिंग मे,
*   Buy या sell जोभी आप पहले करना चाहो वो पहले कर सकते हो
*   Brokerage charge कम है
*   Intraday margin ज्यादा मिलता है x5 से x20 तक
*   डिविडन्ड का लाभ नही मिलता।
*   Lot खरीदना पड़ता है
*  intraday square off मार्केट बंद होने से15 मिनिट  पहले हो जाता है
इस प्रकार की ट्रेडिंग मे risk ज्यादा है क्योंकि हम यहाँ margin लेकर के काम करते है यानी हमारे पास अगर 10,000₹ है मगर हमारा ब्रोकर हमे 10 गुना ज्यादा margin दे रहा है तो हम 1,00,000₹ की ट्रेडिंग कर सकेंगे, वो भी चाहे कितनी बार ,
तो अगर यहाँ आपको फ़ायदा भी ज्यादा होगा तो नुकसान होने की सम्भावनाएं भी  ज्यादा है। इस प्रकार की ट्रेडिंग आप जब शेर को परखने मे जब माहिर हो जाओ तब करना चाहिये।
















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डिलीवरी ट्रेडिंग 




























डिलीवरी ट्रेडिंग करने का तरीका 
    
    सही समय और सही शेर पसंद करने के बाद नीचे दिये तरीके से आप ट्रेडिंग शुरु करे। आप learning videos देखकर भी इसे सीख सकते है।
*   Watchlist से stock select करे 
*   Delivery या cnc option select करे 
*   Buy  या sell  select करे 
*   ट्रेडिंग पीरियड Day select करे
*   Order type select करे  Market, limit, stop loss मे से कोई एक 
*   Market select करने पर उस समय पर जितनी price चल रही होंगी उस मे buy या sell हो जायेगा, 
Limit select करने पर आपके पास price select करने का option रहता है 
Stop loss option loss को रोकने के लिये इस्तेमाल होता है इसके बारे मे हम अलग से सीखेंगे।
*   Quantity मे  जितना शेर लेना है वे भरे 
*   Order summit करे 
*   Conform करे की अपने सब कूच सही भरा है 

















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सबसे पहले हम डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे मे जानेंगे।
डिलीवरी ट्रेडिंग 
किसी भी चीज़ की डिलीवरी लेना यानी वो चीज़ को आप पूर्णतः खरीद रहे है, इस प्रकार की ट्रेडिंग मे,
*  आप को पहले buy ही करना होगा, जब आपके पास शेर आ जाते है तब उसे कभी भी बेच सकते है
*  एक साल से ज्यादा समय अगर आपके अकाउंट मे शेर होते है तो उस शेर के बेचने पर आपको ट्रेन्सेक्शन चार्ज नही चुकाना पड़ेगा
*  Brokerage charge ज्यादा है
*   Margin कम मिलता है
*  कंपनी द्वारा डिवीडेंड बाँटने पर उसका लाभ मिलता है
*  कंपनी के निर्णयों मे vote देने का पूरा अधिकार है।
   कोई भी नये ट्रेडर को सबसे पहले डिलीवरी ट्रेडिंग से ही शुरुआत करनी चाहिये, क्योंकि इसमे risk कम है , आज का खरीदा हुआ माल जब rate बढेगा तब बेच के आप मुनाफा कमा सकते है इस ट्रेडिंग मे आप रोजाना मार्केट को watch नही करोगे तब भी चलेगा।




    Image मे JK Tyre के  शेर का मोबाइल ट्रेडिंग platform का screenshot दिखाया गया है जिसमें आप stock की open price मतलब की वो stock कल की clossing से आज कितने price मे खुला है, high कितना बनाया, low कितना बनाया, कल कितने price पर बंद हुआ था, आज कल के हिसाब से स्टॉक कितना कम या ज्यादा हुआ है  आदि जानकारी देख सकते है, जब आपका अकाउंट खुल जायेगा तब आपको ऐसा ही ट्रेडिंग प्लत्फौर्म दिया जायेगा।




















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5

   यहाँ हम सिर्फ equity शेर जो की आम है उसी की बात करेंगे।
शेर ट्रेडिंग के प्रकार :-
   (1) डिलीवरी ट्रेडिंग
   (2) इन्ट्रा डे या डे ट्रेडिंग
   (3) फ्यूचर या वायदा करोबार
   (4) ऑप्शन या विकल्प करोबार































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   आज कल demate account खुलता तो फ्री मे है मगर उनकी सर्विस का वे कूच charges लेते है उसे brokerage कहते है, brokerage के अलावा और भी charges लगते है जब आप शेर खरीदते है या बेचते है तब वो मैंने यहाँ दर्शाये है।




   अभी हम ये मान लेते है की आपने xyz ब्रोकर से demate account खोला है और आप अभी शेर ट्रेड कर रहे हो तो क्या होंगी पूरी प्रोसेस ये जानने की कोशिश करते है।
   आप का पैसा saving account मे है और वो आपके demate and trading account से लिंक है,आप saving account मे पड़े पैसे को demate account मे ट्रान्स्फर करोगे तब वो एलेक्ट्रॉनिक फॉर्म मे तबदील हो जाते है और जब आप ब्रोकर द्वारा दिये ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म से एक्सचेंज के माध्यम से xyz कंपनी का शेर buy करते है तब उतनी धन राशी खर्च होकर के वे शेर के रुप मे आपके demate account मे holding मे दिखना शुरु हो जाती है। असल मे आपके शेर depository participent जो की सरकारी संस्था है वहाँ आपके नाम से holding मे दर्ज हो जाते है, ब्रोकर सिर्फ एक ट्रेडिंग platform देता है, आपके शेर उनके पास नही बल्कि NSDL और  CDSL के पास रहते है और आप जब चाहे उसे बेच सकते है।


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   Brokers कंपनी और एक्सचेंज के बीच की वो कड़ी है जिनके उपर पूरा शेर मार्केट निर्भर है, आपको अपना demate account इन्ही ब्रोकर के माध्यम से खोलना होता है।
  Demate account खोलते वक़्त हंमेशा compare करने के बाद ही ये निर्णय ले की कौनसा ब्रोकर ज्यादा अच्छा है, brokerage, hidden charges, service, support, mobile app, trading platform आदि को compare करने के बाद ही आपको sutable ऐसे ब्रोकर से account खोले।

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2

   अभी यहाँ पर एक बात नही भुलनी चहिये की अगर जहाँ बात पब्लिक के पैसों की सुरक्षा की आती है वहाँ सरकार का फर्ज बनता है की वे इन सभी बातों पर ध्यान दे और कोई ऐसी समिति उसकी निगरानी करे, भारत सरकार ने ऐसी ही समिति का गठन किया है जिसका नाम है SEBI ( Securities and Exchange Board of India ); SEBI  का काम एक्सचेंज व पूरे स्टॉक मार्केट के हर एक ट्रेन्सेक्शन पर कंट्रोल करना है, वो  ब्रोकर, कंपनी, अड्वर्टाइजर आदि पर पूरी तरह नज़र रखता है ताकि इन्वेस्टेर का पैसा सुरक्षित रहे, उनके साथ कोई धोकाधाडि ना हो।
   कूछ साल पहले इन्वेस्टर्स कंपनी से सीधे शेर ले सकते थे, मगर आज लगभग ये प्रथा ख़त्म हो गयी है और आपको कोई भी कंपनी के शेर अगर चाहिये तो एक्सचेंज के मार्फ़त ही शेर खरीदने पडेंगे, हाँ अगर वो कंपनी जो स्टॉक एक्सचेंज मे लिस्टेड नही है उनके शेर आप सीधे सीधे कंपनी या बिचौलिए से खरीद सकते हो। भारत मे 3000 से भी ज्यादा कम्पनीया लिस्टेड है जिनका शेर का ट्रेडिंग होता है


   किसी भी कंपनी को INDIAN EXCHANGE मे लिस्टेड होने के लिये उसे सरकार, आयकर विभाग और SEBI के नियमों के आधीन अर्जी करनी पड़ती है, कंपनी पब्लिक से इन्वेस्टमेट माँगने के लिये ये अर्जी ज़रूरी है, यहाँ उसे 45 दिन का समय दिया जाता है, कंपनी को अपना मनज्मेन्ट और स्टाफ का पूरा ब्यौरा देना होता है, सभी कानूनी शर्तों को मानने के बाद 45 दिन के बाद कंपनी अपने शेर का ट्रेडिंग एक्सचेंज के माध्यम से करने के लिये तैयार है।
   अभी एक्सचेंज से कोई व्यक्ति सीधे-सीधे शेर नही खरीद सकता, उसके लिये आपको ब्रोकर की ज़रूरत होती है, ये ब्रोकर कोई व्यक्ति, प्राइवेट कंपनी, बेंक या कोई संगठन हो सकता है की जिसे SEBI द्वारा वो अधिकार प्राप्त है


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    जब कोई कम्पनी नयी खड़ी होती है तब गवर्नमेंट के नियमों के आधीन अगर उन्हे पब्लिक से पैसे इन्वेस्ट कराने हो तो उन्हे शेर के रुप मे कंपनी की हिस्सेदारी बेचनी होती है, वो कंपनी के उपर निर्भर है की वो अपनी कितना प्रतिशत हिस्सेदारी पब्लिक मे बेचना चाहती है, ज्यादातर कंपनीया 50% हिस्से से ज्यादा अपने पास रखती है ताकि कंपनी के मेनेज्मेंट पर अपना हक बना रहे। पब्लिक से आये पैसों को कंपनी आपने ग्रोथ और स्थापना या अन्य आय के काम के लिये उपयोग करती है।
  अभी जब कंपनी की स्थापना हो गयी, शेर को मार्केट मे बेचने के लिये उसे एक platform की ज़रूरत पड़ती है, वो platform है exchange, भारत मे मुख्य दो एक्सचेंज है जो share trading कराते है,
   (1) NSE - National Stock Exchange
   (2) BSE - Bombay Stock Exchange
Commodity ट्रेडिंग के लिये भी दो एक्सचेंज है,
   (1) MCX
   (2)NCDX
Currency ट्रेडिंग NSE और BSE एक्सचेंज मे ही होती है।
सभी एक्सचेंज के खुलने और बंद होने के समय इस प्रकार है।


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